ABOUT SIDH KUNJIKA

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देवी माहात्म्यं अपराध क्षमापणा स्तोत्रम्

देवी वैभवाश्चर्य अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम्

देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति दशमोऽध्यायः

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ॐ ग्लौ हुं क्लीं जूं स:

इदं तु कुञ्जिकास्तोत्रं मन्त्रजागर्तिहेतवे ।

देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति एकादशोऽध्यायः

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देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति चतुर्थोऽध्यायः

सरसों के तेल का दीपक है तो बाईं ओर रखें. पूर्व दिशा की ओर मुख करके कुश के आसन पर बैठें.

अगर किसी विशेष मनोकामना पूर्ति के लिए सिद्ध कुंजिका स्तोत्र कर रहे हैं तो हाथ में जल, फूल और अक्षत लेकर जितने पाठ एक दिन में कर सकते हैं उसका संकल्प लें.

छठ की click here व्यापकता में पोखर तालाब से टूटता नाता

इदं तु कुंजिकास्तोत्रं मंत्रजागर्तिहेतवे ।

देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति सप्तमोऽध्यायः

ग्रहों के अशुभ प्रभाव खत्म हो जाते हैं. धन लाभ, विद्या अर्जन, शत्रु पर विजय, नौकरी में पदोन्नति, अच्छी सेहत, कर्ज से मुक्ति, यश-बल में बढ़ोत्तरी की इच्छा पूर्ण होती है.

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